शिक्षा मनोविज्ञान (Education Psychology)



शिक्षा मनोविज्ञान (Education Psychology)

गत वर्षो में शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की एक प्रमुख शाखा के रूप में विकसित हुआ है | आज के समय में शोध (Research) के प्रमुख विषयों के अंतर्गत यह विषय आता है |शिक्षा मनोविज्ञान मुख्ततः उन समस्याओं का अध्यन करता है जो की दैनिक रूप से विद्यालयों (Schools) में शिक्षण के दोरान उत्पन्न होती है |

जैसा की नाम से प्रतीत होता है कि यह मनोविज्ञान की ही एक शाखा है अर्थात इसमे मनोविज्ञान द्वारा सुझाई गई रीतियाँ एवं उपायों का प्रयोग किया जाता है एक विद्यालय के शिक्षक जाने अनजाने रोज शिक्षा मनोविज्ञान का प्रयोग करते है |

एक प्राथमिक स्कूल के शिक्षक अपने दैनिक कार्य में शिक्षा से ज्यादा मनोविज्ञान का प्रयोग करते है | शिक्षा मनोविज्ञान और बालमनोविज्ञान (Child Psychology) को समझे बगैर प्राथमिक स्कूल में शिक्षण लगभग असंभव है | 






मनोविज्ञान का अर्थ है, चेतन मन (conscious mind)  का विज्ञान (Science) ,चेतन मन का अर्थ है , हमारे दिमाग का वह हिस्सा जिसका हम पुर्णतः जागृत अवस्था में प्रयोग करते है | मनोविज्ञानिक अध्ययन के अनुसार – मन की तीन स्थितियां है,  चेतन ,अचेतन और अविचेतन |
शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन के अंतर्गत मुख्यतः चेतन मन पर ही शोध किया जाता है |



ऐसा प्राय़ः देखा जाता है कि विद्यालय में दैनिक रूप से या रोजमर्रा की आने वाली समस्याएँ  मुख्यतः वह समस्याएँ जो छात्र छात्राओं के व्यवहार से सम्बंधित होती है उन्हें प्रबन्धन (Management), प्रशासन(Administration) और अनुशासन(Discipline) की समस्या  माना जाता है जो की पुर्णतः गलत है उदाहरण के लिए कक्षा पांच का छात्र किसी एक खास विषय में शिक्षक  या शिक्षिका के बार – बार समझाने पर गृहकार्य  नहीं कर पा रहा है या अधूरा करके ला रहा है |तो बहुत से विद्यालय इस  समस्या को अनुशासन या प्रबंधन की समस्या मानेगे |जबकि ऐसा नहीं है, कई शोध कार्यों के निष्कर्ष के बाद यह साबित हो गया है कि इस तरह की समस्याएँ शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत ही आती है |



शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत यह समझना गलत होगा कि मात्र छात्र –छात्राएँ ही शोध का विषय है, जबकि आधुनिक शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत निम्नलिखित सभी इकाइयाँ आधुनिक मनोविज्ञान  शोध में  सम्मलित  है
·       छात्र छात्राएं
·       अध्यापक अध्यापिकाएँ
·       विद्यालय  व्यवस्था
·       विधालय परिवेश
·       विधालय प्रबंधक
·       शिक्षा विभाग
·       सरकार की शैक्षिक नीतियाँ और हमारे आस –पास का पूरा परिवेश |

जैसा की हम सामान्यत रोजमर्रा के दैनिक विद्ययालय के कार्य में यह पाते है की शैक्षिक समस्याएँ मूल रूप से या प्रत्यक्ष –अप्रत्यक्ष रूप से  मनोवैज्ञानिक समस्याएँ ही होती है| जैसा की हमने ऊपर / उपरोक्त कहा था कि एक प्राथमिक कक्षा के शिक्षक को शिक्षा से ज्यादा मनोविज्ञान का प्रयोग दैनिक कार्य में करना पड़ता है ,उदाहरण के लिए कक्षा एक के छात्र एवं छात्राओ को पढ़ाने के लिए शेक्षिक ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है बालमनोविज्ञान को समझना |बालमनोवैज्ञानिक और शैक्षिक मनोविज्ञान स्कूली शिक्षा के सम्बन्ध में एक ही सिक्के के दो पहलु है | शिक्षा मनोविज्ञान में  जब हम शिक्षा मनोविज्ञान की तकनीकों का प्रयोग करते है तो वह तकनीके मूल्य रूप से बालमनोवैज्ञानिक पर ही आधारित होती है |यहाँ हमने शिक्षा मनोविज्ञान के लिए प्राथमिक विद्यालय का उदाहरण दिया था ,इसका अर्थ यह नहीं है कि माध्यमिक कक्षाओं और उच्चत्तर  माध्यमिक कक्षाओं में मनोविज्ञान का प्रयोग नहीं होता : बल्कि इसे कुछ इस तरह से समझना चाहिए कि कक्षा एक से बारह तक हर कक्षा में मनोवैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग होता है |फर्क सिर्फ इतना  होता है जैसे - जैसे कक्षा की संख्या बढती है वैसे –वैसे मनोवैज्ञानिक तकनीकों में बालमनोविज्ञान का प्रयोग कम हो जाता है और बढती हुई कक्षा के साथ मनोविज्ञान के मूल् सिद्धांतों  का प्रयोग ज्यादा होना लगता है |




विद्यालय मनोविज्ञान
विद्यालय मनोविज्ञान का अर्थ है उन सभी विधियों का समायोजन, जो एक विद्यालय के जीवन काल में छात्रों के साथ व्यवहार करते वक्त प्रयोग होती है | विधालय मनोविज्ञान का एक प्रमुख हिस्सा शिक्षकों का भी अध्ययन करता है | विद्यालय मनोविज्ञान आज के समय में शोध का एक प्रमुख विषय हो सकता है| इसकी सहायता से विधालय में आने वाली समस्याओं  का निवारण किया जा सकता है |इस विषय के अंतर्गत हमें शैक्षिक मनोविज्ञान का अध्ययन करते है ,और साथ – साथ संस्थागत मनोविज्ञान का भी अध्ययन करते है | यह इन दोनों विषयों को मिलाकर एक नया विषय है ,जिसका मूल उद्देश्य विधालय की सभी समस्याओं को मनोविज्ञान दृष्टीकोण से समझना मूलतः जिस भी विषय में मनुष्य के व्यवहार से सम्बंधित बाते होगी , वह विषय मनोविज्ञान के दायरे में आता है ,जैसा कि हम ऊपर बता चुके है |कि मनोविज्ञान चेतन मन का विज्ञान है और मनुष्य के व्यवहार के लिय उसका चेतन मन ही उत्तरदायी है





मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Psychology )

मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Psychology )


by Dr. Priyanka Singh, डॉ प्रियंका सिंह  








मनोवैज्ञानिक को एक विषय के रूप में समझने के लिए १६ वीं शताब्दी से २० वीं शताब्दी तक के विभिन्न मनोवैज्ञानिक द्वारा किये गए प्रयोग और उनके द्वारा परिभाषित की गयी परिभाषा का अध्ययन करेगें |

    मनोविज्ञान को अंग्रेजी भाषा में (Psychology) कहते है | इस शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के साइकी (Psyche) तथा लोगस (Logas) शब्दों से हुई है | Psyche का अर्थ है आत्मा (Soul) और (Logas) का अर्थ है अध्ययन या विचार –विमर्श | इस प्रकार १६ वीं शताब्दी में ग्रीस (Greece)  नामक देश में दार्शिकों ने इसके शाब्दिक अर्थ के अनुसार इसे ‘आत्मा का अध्ययन करने वाला विज्ञान माना गया है’ इसी शाब्दिक अर्थ के कारण मनोविज्ञान को ‘आत्मा का ज्ञान’ माना गता है ईसा के  पांच सौ वर्ष पूर्व से १६ वीं शताब्दी तक मनोविज्ञान के अर्थ के सम्बन्ध में यही धारणा प्रचलित रही |




इन यूनानी दार्शिनिको में प्लेटो (Plato) ,अरस्तु (Aristotle) तथा डैकार्टे (Descartes) उल्लेखनीय और प्रमुख है| 
         












 प्रमुख वैज्ञानिकों / मनोवैज्ञानिक / दार्शिनिक / शिक्षाविद् द्वारा दी गयी परिभाषाएँ निम्न लिखित है

जे. एस. रौस के अनुसार –“ पहले मनोविज्ञान का अर्थ आत्मा से लगाया जाता था परन्तु यह परिभाषा अस्पष्ट है क्यों कि हम इस प्रश्न का संतोषजनक उत्तर नहीं दे सकते कि ‘आत्मा’ क्या है ? अतः १६ वीं शताब्दी में मनोविज्ञान का अर्थ अस्वीकार कर दिया गया |
“Psychology literally means the science of the soul, but this definition suffers from extreme vagueness as we cannot give any satisfactory answer to the question what is soul.”
                                                                                      -J.S.ROSS




विलियम जेम्स ने सन १८९२ ई. मनोविज्ञान की परिभाषा इस प्रकार दी है –मनोविज्ञान की सर्वोतम परिभाषा यह हो सकती है की यह चेतना की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन और  व्याख्या करता है
The definition of psychology may be best given ……..as, the description and explanation of states of consciousness as such”
                                                                                      -William James



मनोविज्ञान चेतना का विज्ञानं है (science of consciousness)  १९वीं शताब्दी में विद्वानों ने मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान कहा | इसमें विलियम जेम्स (William James) वुंट (Wundt) तथा जेम्स सली (James sully ) आदि |




    जे. बी. वाटसन ने कहा था कि, “एक ऐसा मनोविज्ञान लिखना संभव है ,जिसकी ‘व्यवहार के विज्ञान’ के रूप में परिभाषित की जा सके |
        It is possible to write a psychology which can define it as the science of behavior
                                                                        WATSON J .B.





 पिल्सबरी के अनुसार , सबसे अधिक संतोषजनक रूप में मनोविज्ञान की परिभाषा मानव व्यवहर के विज्ञान रूप में की जा सकती है

    “Psychology may be most satisfactorily defined as the science of human behavior.”

                                   -PILLSBURY


वुडवर्थ  के अनुसार , “मनोविज्ञान वातावरण से सम्बंधित व्यकित की क्रियाओं का विज्ञानं है |
psychology is the science of the activities of the individual in relation to environment .”
                                                                     -WOODWORTH   



मैक्डूगल के अनुसार , “मनोविज्ञान व्यवहर अथवा आचरण का विधायक विज्ञानं है |
psychology is a positive science of the conduct or behavior .”
                                              
                                        -W. McDOUGAL






एन. एल. मन के अनुसार , “मनोविज्ञान मनुष्य के अनुभव के आधार पर व्याख्या किये गए आन्तरिक अनुभव तथा वाह्य व्यवहर का विधायक विज्ञान है |
 “Psychology is a positive science of experience and behavior interpreted in terms of experience”
                                                                                      N.L.MUNN




आर. एच. थाउलैस के अनुसार , “मनोविज्ञान मानव अनुभव एवं व्यवहर का यथार्थ विज्ञान है |
“Psychology is the positive science of human experience and behavior.”
                                                                             R.H.THOULASS




गार्डनर मर्फी के अनुसार , “मनोविज्ञान वह विज्ञान है जिसमे जीवित प्राणियों की उन क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जिनको हम वातावरण के प्रति तैयार करते है |
“Psychology is the science that studies the response which the living individual makes to their environment.”
                                
                                                      -GARDNER MURPHY 



वारेन के अनुसार , मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो एक प्राणी और परिवेश में परस्पर अंतर्संबंध से सरोकार रखता है |
Psychology is the science which deals with the mutual interrelation between an organism and environment.
                                                                             -Warren 



मैक्डूगल के अनुसार , “चेतना सम्पूर्ण रूप से बुरा शब्द है यह मनोविज्ञान के लिये दुर्भाग्यपूर्ण रहा है कि यह शब्द साधारण प्रयोग में आ गया है |’’



एडविन जी बोरिंग ,  ने मनोविज्ञान को मानव प्रकृति के अध्ययन के रूप में स्पष्ट करने का प्रयास किया है | मानव एक जीवित प्राणी है तथा वह निरंतर परिवर्तनशील बाह्य जगत के सम्पर्क में रहकर अपनी प्रतिक्रियाएँ करता रहता है | यदि हमें मानव की प्रकृति का ज्ञान हो जाये तो ,बोरिग के अनुसार ,उसके वाह्य व्यवहारों को भी सहज ही समझा जा सकता है |



आज के आधुनिक समय में मनोविज्ञान एक विज्ञान के रूप में स्थापित हो चूका है | किसी भी विज्ञान को परिभाषित करने के लिए यह आवश्यक है कि दी गई परिभाषा उस विज्ञान को व्यापक रूप में परिभाषित करे उपरोक्त दी गई परिभाषाओं का  अध्ययन करने पर हम यह पाते है कि विभिन्न विद्वानों ने भिन्न -भिन्न समय में मनोविज्ञान विषय की भिन्न -भिन्न परिभाषाएँ दी है |आज के समय में हम मनोविज्ञान के जिस स्वरूप का अध्ययन करते है वह लगभग पिछले  २५००  वर्षो के विकास के दौरान स्थापित हो पाया है





    प्रारंभिक वर्षों में मनोविज्ञान (psychology) को दर्शनशास्त्र (philosophy)  का ही अंग माना जाता था | ३०० ईसापूर्व में प्रमुख दार्शनिक शिक्षा विद प्लेटो और अरस्तु मने जाते है | प्लेटो और अरस्तु ने दर्शन शास्त्र में महत्वपुर्ण योगदान दिया है | प्लेटो और अरस्तु को दर्शन शास्त्र का जनक भी माना जाता है | प्लेटो और अरस्तु के काल  में मनोविज्ञान दर्शन शास्त्र का ही एक अंग था इस लिए मनोविज्ञान  को परिभाषित करने की क्रिया में सर्वप्रथम नाम प्लेटो और अरस्तु का ही नाम आता है |







न्यूज़पेपर आर्टिकलस

न्यूज़पेपर आर्टिकलस

शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच मनोवैज्ञानिक सम्बन्ध

शिक्षक और शिक्षार्थी के बीच का संबंध हमारे समाज में बहुत पवित्र और उच्चकोटि का माना गया है
        
         गुरु  ब्रम्हा
         गुरु विष्णु
         गुरु देवो महेश्वर:

गुरु शिष्य परंपरा हमारे समाज में हजारों वर्ष पुरानी है मगर आज के समय में या ऐसा कहे कि पिछले कुछ दशको से शिक्षा के व्यवसायिकरण की वजह से यह परम्परा  लगभग लुप्त होने के कगार पर है | इस आलेख को पढने वाले बहुत से पाठक इस बात से भिन्न मत रखेंगें | शिक्षा के व्यवसायिकरण से हमारे समाज को सिर्फ नुकसान ही नहीं हुआ है बल्कि कुछ लाभ भी हुएं है | मगर इसका अर्थ यह नहीं है की उन फायदों के आड़   में शिक्षा के व्यवसायिकरण का समर्धन किया जाये | शिक्षा के व्यवसायिकरण के दोरान हमने दो प्रमुख बिन्दुओं पर अपने सभी संसाधन लगाए—­
                            1.  गुणवक्ता
                            2.  प्रतिस्पर्धा

इस आलेख में हम शिक्षा की गुणवक्ता के सम्बन्ध में बात करेंगे | हम प्राथमिक विद्यालय के सन्दर्भ में हम यह कह सकते है की शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की गुणवक्ता में महत्वपूर्ण योगदान देता है शिक्षा मनोविज्ञान का सहारा ले कर हम प्राथमिक विद्यालय का वातावरण मुख्य रूप से शिशकों को यह अवसर प्रदान करता है कि वह शिक्षा मनोविज्ञान का प्रयोग करके छात्र छात्राओं को प्रोत्साहित करे ताकि वह पाठ्यक्रम के अन्दर रूचि ले प्राथमिक विद्यालय में यह महत्वपूर्ण नहीं है कि बालक बालिकाओं ने कितने समय में पाठ्यक्रम पूरा किया या कितने अंक से उत्तीर्ण हुए | प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा मनोविज्ञान के प्रयोग से शिक्षकों का मुख्य कार्य यह है कि वह छात्रो में शिक्षा के प्रति रूचि पैदा करें अगर प्राथमिक विद्यालय में छात्रों को सही वातावरण मिलेगा तो वह आगे जीवन में सफलता प्राप्त करेंगे और एक अच्छे नागरिक के रूप में देश की सेवा करेंगे |



प्राथमिक विद्यालय के वातावरण में अर्थात primary School  में यह ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है कि बालक - बालिकायें छात्र -छात्राएं  पाठ्यक्रम को समझे बल्कि यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि शिक्षक उनको समझे और उनको सहजता से शिक्षा या पाठ्यक्रम को स्वीकार करने में मदद करे यह मनोविज्ञान का गुढ  विषय है कि पञ्च से नौ वर्ष के बालक बालिकायें किस तरह से शिक्षा को ग्रहण करते है या पाठ्यक्रम को ग्रहण करते है उनके सीखने का क्या तरीका  है अगर कोई बालक बालिकायें सीखने में कमजोर है  तो किस तरह से मनोविज्ञान का प्रयोग करके उसमे सुधार  लाया जाय | प्राथमिक विद्यालय में अर्थात (प्राइमरी स्कूल ) में शिक्षक या शिक्षिका एक मात्र शिक्षक न होके बल्कि मनोवैज्ञानिक के रूप में कार्य करते है या कुछ इस तरह से कहे कि प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक –शिक्षिकाऐ शिक्षक से ज्यादा एक मनोवैज्ञानिक का कार्य करते है यहाँ यह महत्वपूर्ण नही है कि शिक्षक शिक्षिकाओ ने मनोविज्ञान में कोई डिग्री प्राप्त की हो | वैसे सामान्यतः प्राइमरी टीचर के लिए जो आवश्यक योग्यताएँ है उनमे शिक्षा मनोविज्ञान की शिक्षा दी जाती है लेकिन शिक्षक शिक्षिकाओ से  यह अपेक्षा की जाती है कि वह छात्रो को समझे और उनके साथ आने वाली रोजमर्या की समस्याओ को मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से या शिक्षा मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से हल करे| शिक्षा के व्यवसायिकरण के वजह से एक और अजीबोगरीब से सी स्थिति देखी गई है कि जब बालक बालिकाएँ प्राथमिक स्कूल में एडमिशन के लिय जाते है तो उनका चयन इंटरव्यू और रिटर्नटेस्ट के आधार पर होता है रिटर्नटेस्ट (लिखित परीक्षा) ये व्यवस्था बेहद अजीबो गरिब और हास्यप्रद है या हम यह कह सकते है की मनोविज्ञान की दृष्टी से यह अनावश्यक है और इस तरह व्यवस्था का कोई औचित नहीं है | चार पञ्च या छ वर्ष  के बच्चो को लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के द्वारा आंकना और  उनकी क्षमताओ की जाँच करना नामुकिन है | प्राथमिक विद्यालयो का मुख्य कार्य मनोवैयानिक दृष्टि से यही है कि हम छात्र छात्रो की क्षमताओ को उज्जागर करे और उन्हें माध्यमिक विद्यालयों के लिय तैयार करे | साक्षात्कार और लिखित परीक्षा के लिए वह प्राथमिक विद्यालय को पास करने के बाद ही तैयार हो पाते है | इस लिए यहाँ पर यह समझने की आवश्यकता है कि प्राथमिक विद्यालयों में छात्र छात्राओ का या बालक बालिकाओ को एक कुम्हार की मिट्टी की तरह परिवेश मिलना चाहिय जिसे शिक्षक एक कुम्हार की तरह खुबसूरत आक़ार में गढ़ दे |






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